भारत-कनाडा के बिगड़े संबंध, ट्रूडो के बयान पर पूर्व राजनयिक और विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
भारत और कनाडा के रिश्ते संभवत: अब तक की सबसे ख़राब स्थिति में हैं.
पहले कनाडा और फिर भारत ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है.
ये क़दम दोनों देशों ने जस्टिन ट्रूडो के उस बयान के बाद उठाया है, जिसमें उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के होने की बात कही थी.
भारत ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
इस ख़बर के सामने आने के बाद अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भारत-कनाडा के संबंधों में आए संकट पर चिंता व्यक्त की है.
इस कहानी में हम आपको बताएंगे कि भारत-कनाडा संबंधों में आई तल्खियों के बाद कौन क्या कह रहा है और पूर्व राजनयिक समेत जानकारों का इस बारे में क्या कहना है?
कनाडा सरकार में भारतीय मूल की मंत्री क्या बोलीं?
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय ने कनाडा-भारत के बीच आई दूरियों पर प्रतिक्रिया दी है.
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय ने पत्रकारों के पूछे सवाल के जवाब में कहा- कनाडा के लगाए आरोप चिंताजनक हैं और हम इस जांच पर नज़र बनाए हुए हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पेनी वॉन्ग ने कहा- ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि सभी देशों को क़ानून का पालन करना चाहिए और एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. हमने भारत के वरिष्ठ अधिकारियों से अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं.
कनाडा सरकार में भारतीय मूल की मंत्री कमल खेड़ा ने भी कई ट्वीट किए हैं.
कमल खेड़ा लिखती हैं, ”कनाडा के नागरिकों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. कनाडा की ज़मीन पर हमारे नागरिकों के ख़िलाफ़ ग़ैर-कानूनी एक्शन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
वो कहती हैं, ”पहले के मुक़ाबले अब ये ज़रूरी हो गया है कि हम एक समुदाय के रूप में साथ आएं, एकजुट रहें कि हम कौन हैं और कनाडा के नागरिक होने के नाते क्या कर रहे हैं.”
कमल खेड़ा के ट्वीट पर कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने ट्वीट किया, ”कनाडा के नागरिकों की सुरक्षा का मतलब क्या उन भारतीय मूल के नागरिकों की सुरक्षा भी है जो खालिस्तान समर्थक नहीं हैं. या फिर उन पर हमले और धमकियां स्वीकार्य हैं? क्या ऐसे लोगों के मंदिरों, भारतीय हाई कमिशनों पर हमले स्वीकार्य हैं?”
कनाडा के वैन्कुवर साउथ से सांसद हरजीत सज्जन ने ट्रूडो के बयान पर लिखा है, ”हम भारत या किसी अन्य देश को अपने लोकतंत्र में हस्तक्षेप नहीं करने देंगे. कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी विदेशी सरकार का शामिल होना हमारी संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है.”
सामरिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने लिखा है, ”कनाडा और भारत दोस्त हैं न कि शत्रु. लेकिन ट्रूडो सिख अतिवादी दल के साथ गठबंधन करने के बाद भारत से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव ला चुके हैं. मोदी ने ट्रूडो को जी-20 समिट में सिख आतंकवादियों के प्रति उदार रवैया रखने के लिए जमकर सुनाया था. अब ट्रूडो वापस जाने के बाद कह रहे हैं कि कनाडा में अतिवादी सिख की हत्या के पीछे भारत हो सकता है.”
वो बोले, ”सिख नेता की हत्या के तीन महीने बाद भी किसी पर आरोप तय नहीं हुआ. न ही ट्रूडो ने यह बताया कि उनकी सरकार हत्या के लिए किसे ज़िम्मेदार मानती है. ट्रूडो के बेबुनियाद आरोप और फिर दोनों देशों के बीच वार पलटवार के बाद संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए हैं.”
भारत-कनाडा के बिगड़े संबंधों का अमेरिका पर असर
भारत-कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों पर अमेरिका ने बेहद चिंताजनक बताया है.
क्या दोनों देशों के बीच ख़राब हुए संबंधों का अमेरिका पर भी कोई असर होगा?
रैंड कॉर्पोरेशन में राष्ट्रीय सुरक्षा और इंडो पैसेफिक विशेषज्ञ डेरेक जे ग्रॉसमैन ने इसे लेकर कई ट्वीट किए हैं.
डेरेक जे ग्रॉसमैन लिखते हैं- भारत मानता है कि पाकिस्तान और कनाडा आतंकवाद को पनाह देते हैं.
ग्रॉसमैन के मुताबिक़, भारत-कनाडा संबंध बुरी स्थिति में हैं. जस्टिन ट्रूडो देश की संसद में बता रहे हैं कि जून में सिख नेता निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ है.
वो लिखते हैं- अगर ये बात सच निकलती है तो बाइडन का सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने और जून में व्हॉइट हाउस में पीएम मोदी के दौरे में कोई फ़र्क़ नहीं है. उम्मीद है कि ये झूठ हो.
बाइडन ने क्राउन प्रिंस से जुलाई 2022 में मुलाकात की थी. इस मुलाकात से चार हफ्ते पहले तक बाइडन ये कह रहे थे कि वो सलमान से नहीं मिलेंगे. पत्रकार जमाल खाशोज्जी की विदेशी ज़मीन पर हत्या का क्राउन प्रिंस सलमान पर आरोप लगते रहे हैं और बाइडन भी इस बारे में बयान देते रहे थे.
ऐसे में जब वो सलमान से मिले तो इस पर लोगों ने हैरत जताई थी.
ग्रॉसमैन एक दूसरे ट्वीट में कहते हैं, ”कनाडा और भारत के संबंधों में आए बदलाव बाइडन प्रशासन के लिए मुश्किल की घड़ी है. अगर अमेरिका कनाडा का साथ देता है तो उसकी भारत के साथ वफ़ादारी पर सवाल उठेंगे. अगर अमेरिका भारत का साथ देता है तो वो अपने नेटो सहयोगी के ख़िलाफ़ जा रहा है.”
ग्रॉसमैन ने कहा, ”कनाडा के ताज़ा आरोपों के कारण साल 2000 के बाद से भारत-अमेरिका के संबंधों के लिए परीक्षा की घड़ी है. चीन का मुक़ाबला करने के लिए भारत का साथ देने की ख़ातिर अमेरिका किसी भी विवाद में पड़ने से बचेगा.”
अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू के अंतरराष्ट्रीय संपादक स्टैनली जॉनी ने लिखा है, ”जस्टिन ट्रूडो का आरोप उनकी एजेंसियों की जाँच से मिली सूचनाओं के आधार पर है. अगर आरोप सही भी साबित होते हैं, तब भी यह असामान्य है कि एक प्रधानमंत्री एक दोस्त देश का सार्वजनिक रूप से नाम ले रहा है और डिप्लोमैट को निष्कासित कर रहा है. इससे पता चलता है कि दोनों देशों के संबंधों की स्थिति क्या है.”
स्टैनली ने लिखा है, ”भारत ने हाल ही में जगमीत सिंह के समर्थन से चल रही ट्रूडो सरकार के सामने कनाडा में सिख अतिवादियों की मौजूदगी का मुद्दा उठाया था. यहाँ तक कि कनाडा में इंदिरा गांधी की हत्या की झाँकी निकाली गई. दोनों देशों के बीच संबंध में तनातनी पहले से ही थी.”
स्टैनली कहते हैं, ”जी-20 के पहले दो चीज़ें हुईं. पहला यह कि कनाडा ने भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर वार्ता को रद्द कर दिया था. माना जा रहा था कि इस साल यह डील हो जाएगी. दूसरा यह कि एक कनाडाई जज ने कथित विदेशी हस्तक्षेप को लेकर जांच शुरू की थी. ट्रूडो सरकार ने कहा है कि भारत का रुख़ जाँच के घेरे में है.”
पूर्व राजनयिक क्या बोले?
द इंडियन प्रेजिडेंट किताब के लेखक और पूर्व राजनयिक केसी सिंह ने भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है.
केसी सिंह ने लिखा- भारतीय राजनयिक को निष्कासित किया जाना और कनाडा की विदेश मंत्री के बयान से दोनों देशों के संबंध और बिगड़े हैं क्योंकि ये मुद्दा दोनों देशों की घरेलू राजनीति में भी काफ़ी अहम है.
वो कहते हैं, ”किसी वरिष्ठ राजनयिक पर इस तरह के आरोप लगाना दुर्लभ घटना है. किसी जी-7 या नेटो सदस्य देश की ओर से ऐसा कभी नहीं किया गया. भारत को इसका अंदाज़ा होना चाहिए था और भारत दौरे के दौरान ट्रूडो की अनदेखी करने की बजाय इस बारे में बात करनी चाहिए थी.”
केसी सिंह बोले- हालात अब ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहाँ से लौटना मुश्किल रहेगा.
वॉशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक द विलसन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगलमैन ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ”कनाडा भारत का बहुत अहम पश्चिमी साझेदार है. जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर लगाए गए बड़े आरोपों के बाद भारत के राजनयिक का निष्कासन एक हैरान करने वाला क़दम है. ऐसा आमतौर पर होता नहीं है.”
माइकल कुगलमैन ने कहा, ”कनाडा के प्रधानमंत्री का इस तरह सार्वजनिक तौर पर ये आरोप लगाना ज़ाहिर तौर पर ये बताता है कि उनके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं, वरना वो क्यों भारत के साथ अपने अच्छे रिश्ते को नुकसान पहुंचाएंगे. मेरा मानना है कि वो जो कह रहे हैं उन्हें उस बात की गंभीरता का अंदाज़ा है.”
कनाडाई वरिष्ठ पत्रकार ताहिर असलम गोरा ने कहा, “इतना बड़ा क़दम अलगावादी नेता की हत्या के तीन महीने बाद लेना बहुत हैरान करने वाली बात है. इससे कनाडाई लोग भी हैरान हैं. आज से 30-32 साल पहले एयर इंडिया बम धमाके की जांच अब तक नतीजे पर नहीं पहुंच पायी तो तीन महीने में ये जांच कैसे पूरी हो गई. एकदम से पीएम ने संसद में ये बयान दे दिया. हम कनाडाई लोग पूरे सच का इंतज़ार कर रहे हैं.”
पूर्व राजनयिक क्या बोले?
द इंडियन प्रेजिडेंट किताब के लेखक और पूर्व राजनयिक केसी सिंह ने भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है.
केसी सिंह ने लिखा- भारतीय राजनयिक को निष्कासित किया जाना और कनाडा की विदेश मंत्री के बयान से दोनों देशों के संबंध और बिगड़े हैं क्योंकि ये मुद्दा दोनों देशों की घरेलू राजनीति में भी काफ़ी अहम है.
वो कहते हैं, ”किसी वरिष्ठ राजनयिक पर इस तरह के आरोप लगाना दुर्लभ घटना है. किसी जी-7 या नेटो सदस्य देश की ओर से ऐसा कभी नहीं किया गया. भारत को इसका अंदाज़ा होना चाहिए था और भारत दौरे के दौरान ट्रूडो की अनदेखी करने की बजाय इस बारे में बात करनी चाहिए थी.”
केसी सिंह बोले- हालात अब ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहाँ से लौटना मुश्किल रहेगा.
वॉशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक द विलसन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगलमैन ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ”कनाडा भारत का बहुत अहम पश्चिमी साझेदार है. जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर लगाए गए बड़े आरोपों के बाद भारत के राजनयिक का निष्कासन एक हैरान करने वाला क़दम है. ऐसा आमतौर पर होता नहीं है.”
माइकल कुगलमैन ने कहा, ”कनाडा के प्रधानमंत्री का इस तरह सार्वजनिक तौर पर ये आरोप लगाना ज़ाहिर तौर पर ये बताता है कि उनके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं, वरना वो क्यों भारत के साथ अपने अच्छे रिश्ते को नुकसान पहुंचाएंगे. मेरा मानना है कि वो जो कह रहे हैं उन्हें उस बात की गंभीरता का अंदाज़ा है.”
कनाडाई वरिष्ठ पत्रकार ताहिर असलम गोरा ने कहा, “इतना बड़ा क़दम अलगावादी नेता की हत्या के तीन महीने बाद लेना बहुत हैरान करने वाली बात है. इससे कनाडाई लोग भी हैरान हैं. आज से 30-32 साल पहले एयर इंडिया बम धमाके की जांच अब तक नतीजे पर नहीं पहुंच पायी तो तीन महीने में ये जांच कैसे पूरी हो गई. एकदम से पीएम ने संसद में ये बयान दे दिया. हम कनाडाई लोग पूरे सच का इंतज़ार कर रहे हैं.”